Saturday, February 18, 2012

नया साल और नया स्कूल

मै 'अपूर्व कौशिक'
अब मेरी परीक्षा की घडी निकट है. अब मै नयी कक्षा में आ जाऊंगा. फिर वही हर बार की तरह नयी किताबे नया बैग और इस बार तो नया स्कूल भी, इस बार से मै और मेरा भाई 'अथर्व' एक ही स्कूल में पढेंगे. वह प्रथम में आएगा और मै त्रितय में. इस बार से हिंदी माध्यम के विद्यालय में पढूंगा. मेरी माँ कहतीं हैं की अपनी भाषा में पढने से ज्यादा समझ आता है  कोई विदेशी भाषा जो हमारे घर में बोली भी नहीं जाती उसे हम कैसे समझें. वैसे मुझे ये पढाई एक तरह से बोझ लगती है. इसके कारण कभी कभी तो पिटाई भी हो जाती है. लेकिन सभी बड़े कहते हैं की पढोगे नहीं तो बेटा क्या बनोगे.
वैसे मै तो बड़ा होकर देशभक्त बनना चाहता हूँ किन्तु सब कहते हैं इसकी कोई कक्षा नहीं है. वैसे इस बार मेरा इरादा था की वोट दूँ और अच्छी सरकार चुनु किन्तु माँ से पता चला की मेरा तो वोट ही नहीं बना अब तक. अब मेरी माँ सबसे कहती रहती हैं की वोट दो वोट दो और मेरा वोट नहीं बनाया अभी तक. मैंने पूछा तो कहा की मै छोटा हूँ. कभी कभी समझ नहीं आता की मै छोटा हूँ या बड़ा हूँ? यदि आपको आता हो तो मुझे बता देना.
बात तो चल रही थी की अब मै नयी कक्षा में आ जाऊंगा इससे मै बहुत खुश हूँ. मुझे नयी किताबे मिलेंगी और नया स्कूल भी पर सबसे जयादा ख़ुशी इस बात की है की अब हम दोनों भाई एक ही स्कूल में पढेंगे. अब मै ये पोस्ट बंद कर रहा हूँ नहीं तो माँ डाटेंगी.
सबको नमस्ते
अपूर्व कौशिक

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