Saturday, December 11, 2010

चतुर कौवा


एक कौवा था. वह नदी के किनारे एक पेड़ पर रहता था. उसी पेड़ पर एक सांप भी रहता था. सांप हमेशा कौवे के अंडे निकल कर खा जाता था. अतः कौवे की समझ में यह नहीं आ रहा था कि वह किस प्रकार अपने अन्डो की रक्षा करे.


एक दिन एक राजकुमारी नहाने के लिए नदी के किनारे पर आई. नदी किनारे अपने आभूषण रख कर वह नहाने चली गयी. कौवे को उसी समय एक उपाय सूझा. वह उदा और एक आभूषण लेकर पेड़ पर लौट आया. उसने उस आभूषण को सांप के बिल मैं रख दिया. राजकुमारी के रक्षक कौवे को आभूषण ले जाता देखकर उसके पीछे भागे. जब वे पेड़ के पास पहुंचे तो उन्होंने वहां सांप देखा. रक्षकों ने अपने भालों से सांप को मार डाला और उसके बिल मैं रखे आभूषण लेकर चले गए. कौवा बहुत प्रसन्न हुआ. उसने चतुराई से सांप से हमेशा के लिए छुटकारा पा लिया.

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