एक कौवा था. एक दिन उसे कहीं से रोटी का एक टुकड़ा मिल गया. उसे चोंच मैं दबा कर वह एक पेड़ की डाल पर बैठ गया. एक चतुर लोमड़ी ने उसे देख लिया. पेड़ के पास जाकर उसने कौवे से कहा - "हे कौवे! भैया तुम कितना मधुर गाते हो. बहुत दिनों से तुम्हारी मधुर आवाज़ सुनना चाहती हूँ. कुछ गाकर सुनाओ न."
अपनी प्रशंसा सुनकर कौवा फूला नहीं समाया.वह ख़ुशी से कांव - कांव करने लगा. ख़ुशी से कांव- कांव करने लिए उसने जैसे ही अपना मुह खोला, रोटी का टुकड़ा नीचे जमीन पर गिर गया. लोमड़ी ने झट से रोटी का टुकड़ा उठाया और खुश होती हुयी जंगल में भाग गयी.कौवा पछताता ही रह गया.
अपनी प्रशंसा सुनकर कौवा फूला नहीं समाया.वह ख़ुशी से कांव - कांव करने लगा. ख़ुशी से कांव- कांव करने लिए उसने जैसे ही अपना मुह खोला, रोटी का टुकड़ा नीचे जमीन पर गिर गया. लोमड़ी ने झट से रोटी का टुकड़ा उठाया और खुश होती हुयी जंगल में भाग गयी.कौवा पछताता ही रह गया.
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