Saturday, February 18, 2012

एक सुन्दर कविता♥



ये बात समझ मेँ आयी नहीँ,
और मम्मी ने समझाई नहीँ।

मैँ कैसे मीठी बात करुँ?

जब मीठी चीज कोई खाई नहीँ।


ये चाँद भी कैसा मामू है?
जब मम्मी का वो भाई नहीँ।

क्योँ लम्बे बाल हैँ भालू के?
क्योँ उसने ट्रिमिँग कराई नहीँ?

क्या वो भी गंदा बच्चा है?
या जंगल मेँ कोई नाई नहीँ।

नाना की पत्नी जब नानी है, दादा की पत्नी दादी है,
तब पापा की पत्नी क्योँ पापी नहीँ?

समुन्दर का रंग क्योँ नीला है?
जब नील किसी ने मिलाई नहीँ।

जब स्कूल मेँ इतनी नीँद आती है,
तो क्यूँ बैड वहाँ रखवाई नहीँ?

ये बात समझ मेँ आयी नहीँ,
और मम्मी ने समझाई नहीँ;)

द्वारा श्री श्री १००८ ठलुआनंद जी महाराज
अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष ठलुआ क्लब

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